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धर्म ध्यान और ज्ञान

सच्ची साधन क्या है?

वास्तव मे साधना ही ज्ञान की पूंजी है । वे साधक (जो साधना मे लीन हो ) जिन्होंने इस भौतिक युग के भाग दौड भरे जीवन मे साधना का मार्ग चुना है वे सभी धन्य है ।निश्चित ही उनमे कोई अलौकिक शक्ति निहित है, जो उन्हे दूसरे से हटकर बनाते है। इस संसार मे सभी […]

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Ayurveda

मृत्युञ्जय योगोंका वर्णन

भगवान् धन्वन्तरि कहते हैं- सुश्रुत ! अब मैं मृत्युञ्जय-कल्पोंका वर्णन करता हूँ, जो आयु देनेवाले एवं सब रोगोंका मर्दन करनेवाले हैं। मधु, घृत, त्रिफला और गिलोयका सेवन करना चाहिये। यह रोगको नष्ट करनेवाली है तथा तीन सौ वर्षतककी आयु दे सकती है। चार तोले, दो तोले अथवा एक तोलेकी मात्रामें त्रिफलाका सेवन वही फल देता […]

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धर्म मन्त्र-विद्या

मन्त्र-विद्या

अग्रिदेव कहते हैं- वसिष्ठ ! अब मैं भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाली मन्त्र-विद्याका वर्णन करता हूँ, ध्यान देकर उसका श्रवण कीजिये । द्विजश्रेष्ठ! बीससे अधिक अक्षरोंवाले मन्त्र ‘मालामन्त्र’ दससे अधिक अक्षरोंवाले ‘मन्त्र’ और दससे कम अक्षरोंवाले ‘बीजमन्त्र’ कहे गये हैं। ‘मालामन्त्र’ वृद्धावस्थामें सिद्धिदायक होते हैं, ‘मन्त्र’ । यौवनावस्थामें सिद्धिप्रद है। पाँच अक्षरसे अधिक तथा दस […]

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धर्म ध्यान और ज्ञान

ज्ञान का अर्थ, परिभाषा प्रकार, स्रोत, महत्व

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आध्यात्मिक, पौराणिक

Shri Ramchandra Sevadham Trust, Nawalgarhसूतमहर्षि ने नारदमुनि की कहानी सुनाना प्रारंभ किया – पिछले जन्म में नारद ने एक दासी-पुत्र के रूप में जन्म लिया था। वह दासी एक भक्त के घर में काम किया करती थी। उस भक्त के घर में सदा ऋषि-मुनि, साधु-संत अतिथि-सत्कार पाया करते थे। बालक नारद उन ज्ञानियों की सेवा […]

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