दिशा सम्बन्धी नियम
१. हमेशा दक्षिण की ओर सिर रख कर सोना चाहिए !
२. पश्चिम दिशा शयन हेतु द्वितीय उत्तम अवस्था है !
३ उत्तर की ओर सिर करके कभी नहीं सोना चाहिए !
४ इशान / पूर्व की ओर भी सिर करके नहीं सोना चाहिए !
( उपरोक्त दिशाए इस लिए बताई जा रही है क्योकि मैग्नटिक फ़ील्ड के दुष्प्रभाव से बचा जा सके और प्राण ऊर्जा ज्यादा से ज्यादा प्राप्त किया जा सके ! )
अन्य नियम ,
५ बहुत ऊंची खाट , मैली खाट , टूटी खाट पर नहीं सोना चाहिए !
6 सिर नीचा करके नहीं सोये !
7 बहुत ऊंची तकिया लगाकर नहीं सोये !
८. जूंठे मुह , भीगे पैर रख कर , मुख में ताम्बूल , पान मसाला आदि रख कर नहीं सोना चाहिए !
९ कभी भी नग्न-अवस्था में नहीं सोना चाहिए , आयु कम होती है !
१० सिर पर पगड़ी अथवा , जाड़ो में गरम टोपी लगाकर नहीं सोना चाहिए !
११. घुटने से नीची चारपाई या बेड पर सोने से घुटने की बीमारिया होती है !
१२. सोने से पूर्व ध्यान , बड़ो को प्रणाम करके सोना चाहिए !
१३. बेड के नीचे कुछ भी नहीं रखना चाहिए , आज कल बॉक्स बेड का प्रचलन अनिद्रा अथवा अतिनिद्रा की बीमारिया लाता है !
१४ बेड का सिरहाना दीवार के पास हो , बीचोबीच कमरे में नहीं सोना चाहिए , लोग पंखे के बिलकुल नीचे सोते है , यह ठीक नहीं है !
१५. काले या बहुत डार्क रंग की बेडशीट या तकिया लगाने से डरावने स्वप्न बहुत आते है अतः light कलर की बेडशीट बिछाए !
१६. छोटे बच्चो को इतिहास , पुराण की प्रेरक कहानिया सुना कर सुलाए जो चरित्र निर्माण में सहायक होती है !
अंत में यदि सयुक्त परिवार में है , यदि संभव हो सके तो अपने से बड़ो की यथा संभव सेवा करके ही सोये ! बड़ो , बुजुर्गो का आशीवाद , सदगुरु का ध्यान करके ही सोये , यह बहुत आवश्यक है !
भगवान् श्री राम भी सोने से पूर्व गुरु के चरणों की सेवा अवश्य ही करते थे ! कृपया राम चरित मानस का सन्दर्भ ले ,
निशि प्रवेश मुनि आयसु दीन्हा , सबही संध्या बंदनु कीन्हा !!
कहत कथा इतिहास पुरानी , रुचिर रजनि जुग जाम सिरानी !!
मुनिवर सयन कीन्हि तब जाई , लगे चरण चापन दोउ भाई !!
जिन्हके चरण सरोरुह लागी , करत विविध जप जोग बिरागी !!
तेई दोउ बन्धु प्रेम जणू जीते , गुरु पद कमल पलोटत प्रीते !!
बार बार मुनि आज्ञा दीन्ही , रघुबर जाई सयन तब कीन्ही !!
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27 replies on “शयन हेतु कुछ आवश्यक वास्तु के नियम”
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