श्री रामचंद्र सेवा धाम ट्रस्ट एक सार्वजनिक प्रन्यास है जो कि राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम 1959 के तहत पंजीकृत है जिसका पंजीयन न्यायालय सहायक आयुक्त (द्वितीय) देवस्थान विभाग जयपुर में दिनांक 27/2/2008 को किया गया था श्री रामचंद्र सेवा धाम ट्रस्ट भारत सरकार कार्यालय आयकर आयुक्त जयपुर- तृतीय, जयपुर की आदेश संख्या: आ०आ०/जय-तृतीय/आ०अ०(त० एवं न्या)/२०१३-१४/३६९१ दिनांक 21/3/2014 को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 12अअ के अधीन न्यास /संस्था का पंजीकरण किया गया।यह न्यास /संस्था१९-०६-२००७ को न्यास विलेख /मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन द्वारा गठित है।जोकि आयकर आयुक्त जयपुर तृतीय जयपुर की रजिस्टर संख्या 103 /48 न्यास /संस्था में दर्ज है
प्रन्यास के उद्देश्य:-
१. मंदिर परिसर श्री रामचंद्र सेवाधाम नवलगढ़ की समुचित व्यवस्था सुचारू रूप से चलाना एवं मंदिर में संबंधित समस्त चल अचल संपत्तअचल संपत्तअचल संपत्तर में संबंधित समस्त चल अचल संपत्तअचल संपत्तअचल संपत्ति की देखरेख करना प्रबंध व प्रशासन व नियंत्रण करना सेवा पूजा की व्यवस्था हेतु आवश्यकता अनुसार वैतनिक पुजारी नियुक्त करना वेतन निर्धारित करना वेतन भुगतान करना मंदिर की संपत्ति की सुरक्षा करना संपत्ति का सदुपयोग करना दुरुपयोग को रोकने
२.-मंदिर परिसर का भवन निर्माण कार्य पूरा करना टूट फूट ठीक करवाना नव निर्माण करना जीर्णोद्वार करना अतिरिक्त भवन संपदा उपलब्ध होने की दशा में किराएदार रखना एवं प्राप्त किराया आमदनी से न्यास के घोषित सार्वजनिक उद्देश्यों की पूर्ति करना
३.-समाज राष्ट्र धर्म मानव जीवन एवं सांस्कृतिक हितार्थ आध्यात्मिक सामाजिक खेलकूद वाचनालय एवं उत्थान संबंधी योजना बनाना आयोजन करवाना
४.-मेलों व उत्सवो का आयोजन करवाना।
५.-धर्मानुरागी वह वृद्ध जनों के स्थाई अस्थाई निवास की व्यवस्था करना।
६.-पर्यावरण सुधार कार्यक्रमों के अंतर्गत वृक्षारोपण गौशाला एवं गौ संवर्धन हेतु समस्त आवश्यक व्यवस्थाएं करना।
७.-मंदिर में विराजमान मूर्तियों की सेवा पूजा विधि-विधान से करवाना प्राण प्रतिष्ठान करवाना वह स्थापना करवाना।
८.-समाज में अशिक्षा को दूर करने हेतु शिक्षण केंद्र स्थापित करना छात्रवृत्ति देना पुस्तकों की व्यवस्था कराना गरीब असहाय बच्चों को पढ़ाना एवं रहने की समुचित व्यवस्था करना।
९.-प्राकृतिक प्रकोप बाढ़ भूकंप महामारी मकान तूफान आधी विपदा मुक्त परिस्थितियों में हर संभव सहायता करना।
१०.-आध्यात्मिक प्रवचन साधु-संतों की भजन सत्संग व अन्य प्रकार के धार्मिक आयोजन करना प्रचार प्रसार करना।
११.-कथा प्रवचन व आध्यात्मिक उत्सवों का आयोजन कराना व व्यवस्था करना।
१२.-पशु पक्षियों को दाना पानी की व्यवस्था करना।
१३.-नशाबंदी नेत्र चिकित्सा प्रोड शिक्षा आदि समाज हित के कार्य संपन्न कराना समस्त व्यवस्था कराना।
१४.-अंय सभी प्रकार के कार्य करना जो इस संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु आवश्यक हो।
इस न्यास /संस्था के नियम- उपनियम बनाना परिवर्तन एवं संशोधन करना जो कि समय अनुसार अवस्थाओं को देखते हुए परिवर्तित किए जा सकते हैं।
आय के साधन हेतु संस्था की साधारण सभा एवं प्रबंध कारिणी सभा द्वारा निर्धारित अनुचित माध्यमों से जो कानून द्वारा पर जितने हो धन एकत्रित करने का अधिकार है आय के मुख्य स्त्रोत निम्न होंगे:-
१.-अनुदान एवं दान आदि
२.-सदस्यता शुल्क
३.-सरकार वह जनता के द्वारा दिया गया अनुदान व भेट
४.-विभिन्न मनोरंजन साधन जो कानून द्वारा वर्जित न हो एवं मुख्य संरक्षक ट्रस्टी एवं आजीवन सदस्यों द्वारा प्राप्त शुल्क को स्थाई कोष में जमा कराने से प्राप्त ब्याज चल एवं अचल संपत्ति से प्राप्त किराया आदि।
न्यास संस्था के उत्तराधिकार का तरीका:-
न्यास के समस्त सदस्यों के द्वारा बहुमत से उत्तराधिकारी का चयन करना व संस्थापक को विशेष अधिकार दिया गया है कि वह अपना उत्तराधिकारी स्वयं विवेक से चयन कर सकेगा
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