श्री रामचंद्र सेवा धाम ट्रस्ट एक सार्वजनिक प्रन्यास है जो कि राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम 1959 के तहत पंजीकृत है जिसका पंजीयन न्यायालय सहायक आयुक्त (द्वितीय) देवस्थान विभाग जयपुर में दिनांक 27/2/2008 को किया गया था श्री रामचंद्र सेवा धाम ट्रस्ट भारत सरकार कार्यालय आयकर आयुक्त जयपुर- तृतीय, जयपुर की आदेश संख्या: आ०आ०/जय-तृतीय/आ०अ०(त० एवं न्या)/२०१३-१४/३६९१ दिनांक 21/3/2014 को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 12अअ के अधीन न्यास /संस्था का पंजीकरण किया गया।यह न्यास /संस्था१९-०६-२००७ को न्यास विलेख /मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन द्वारा गठित है।जोकि आयकर आयुक्त जयपुर तृतीय जयपुर की रजिस्टर संख्या 103 /48 न्यास /संस्था में दर्ज है
प्रन्यास के उद्देश्य:-
१. मंदिर परिसर श्री रामचंद्र सेवाधाम नवलगढ़ की समुचित व्यवस्था सुचारू रूप से चलाना एवं मंदिर में संबंधित समस्त चल अचल संपत्तअचल संपत्तअचल संपत्तर में संबंधित समस्त चल अचल संपत्तअचल संपत्तअचल संपत्ति की देखरेख करना प्रबंध व प्रशासन व नियंत्रण करना सेवा पूजा की व्यवस्था हेतु आवश्यकता अनुसार वैतनिक पुजारी नियुक्त करना वेतन निर्धारित करना वेतन भुगतान करना मंदिर की संपत्ति की सुरक्षा करना संपत्ति का सदुपयोग करना दुरुपयोग को रोकने
२.-मंदिर परिसर का भवन निर्माण कार्य पूरा करना टूट फूट ठीक करवाना नव निर्माण करना जीर्णोद्वार करना अतिरिक्त भवन संपदा उपलब्ध होने की दशा में किराएदार रखना एवं प्राप्त किराया आमदनी से न्यास के घोषित सार्वजनिक उद्देश्यों की पूर्ति करना
३.-समाज राष्ट्र धर्म मानव जीवन एवं सांस्कृतिक हितार्थ आध्यात्मिक सामाजिक खेलकूद वाचनालय एवं उत्थान संबंधी योजना बनाना आयोजन करवाना
४.-मेलों व उत्सवो का आयोजन करवाना।
५.-धर्मानुरागी वह वृद्ध जनों के स्थाई अस्थाई निवास की व्यवस्था करना।
६.-पर्यावरण सुधार कार्यक्रमों के अंतर्गत वृक्षारोपण गौशाला एवं गौ संवर्धन हेतु समस्त आवश्यक व्यवस्थाएं करना।
७.-मंदिर में विराजमान मूर्तियों की सेवा पूजा विधि-विधान से करवाना प्राण प्रतिष्ठान करवाना वह स्थापना करवाना।
८.-समाज में अशिक्षा को दूर करने हेतु शिक्षण केंद्र स्थापित करना छात्रवृत्ति देना पुस्तकों की व्यवस्था कराना गरीब असहाय बच्चों को पढ़ाना एवं रहने की समुचित व्यवस्था करना।
९.-प्राकृतिक प्रकोप बाढ़ भूकंप महामारी मकान तूफान आधी विपदा मुक्त परिस्थितियों में हर संभव सहायता करना।
१०.-आध्यात्मिक प्रवचन साधु-संतों की भजन सत्संग व अन्य प्रकार के धार्मिक आयोजन करना प्रचार प्रसार करना।
११.-कथा प्रवचन व आध्यात्मिक उत्सवों का आयोजन कराना व व्यवस्था करना।
१२.-पशु पक्षियों को दाना पानी की व्यवस्था करना।
१३.-नशाबंदी नेत्र चिकित्सा प्रोड शिक्षा आदि समाज हित के कार्य संपन्न कराना समस्त व्यवस्था कराना।
१४.-अंय सभी प्रकार के कार्य करना जो इस संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु आवश्यक हो।
इस न्यास /संस्था के नियम- उपनियम बनाना परिवर्तन एवं संशोधन करना जो कि समय अनुसार अवस्थाओं को देखते हुए परिवर्तित किए जा सकते हैं।
आय के साधन हेतु संस्था की साधारण सभा एवं प्रबंध कारिणी सभा द्वारा निर्धारित अनुचित माध्यमों से जो कानून द्वारा पर जितने हो धन एकत्रित करने का अधिकार है आय के मुख्य स्त्रोत निम्न होंगे:-
१.-अनुदान एवं दान आदि
२.-सदस्यता शुल्क
३.-सरकार वह जनता के द्वारा दिया गया अनुदान व भेट
४.-विभिन्न मनोरंजन साधन जो कानून द्वारा वर्जित न हो एवं मुख्य संरक्षक ट्रस्टी एवं आजीवन सदस्यों द्वारा प्राप्त शुल्क को स्थाई कोष में जमा कराने से प्राप्त ब्याज चल एवं अचल संपत्ति से प्राप्त किराया आदि।
न्यास संस्था के उत्तराधिकार का तरीका:-
न्यास के समस्त सदस्यों के द्वारा बहुमत से उत्तराधिकारी का चयन करना व संस्थापक को विशेष अधिकार दिया गया है कि वह अपना उत्तराधिकारी स्वयं विवेक से चयन कर सकेगा
Shri Ramchandra Sevadham Trust
Shri Ramchandra Sevadham Trust
Jhajhar, MDR25B, Nawalgarh, Rajasthan 333042
094605 41211
https://maps.app.goo.gl/J6PoL
कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई
कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई देनी है तो ऐसे दीजिये कि –
जिसने पैदा होते ही संसार को मोह लिया
अपने को बंधन से मुक्त कर नन्द के घर पहुँचे
नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
जिसने अपने को मारने आए राक्षसो को भी मोक्ष दे दिया
पूतना जो जहर पिलाने आई थी उसको भी वात्सल्य दिया
उसका पूरा दूध पी गए और उसको परमधाम पहुंचा दिया
जिसने अपने साथियो को माखन खिलाया
जिसने अपनी बुद्धि विवेक बल से कालिया का मर्दन किया
जिसने गोचारण के लिए रो रो के पूरा नन्द गाँव हिला दिया
जिसने अपनी बंसी की तान पर सबको झूमा दिया
जिसने कंस जैसे निर्दयी पापी का वध किया
जिसने पांडवो की रक्षा की लाक्षाग्रह से
जिसने द्रोपदी का मान बचाया
जिसने अपने राजकुमार
भाई भतीजा सभी से रिश्ते निभाए
जिसने सखा भाव निभाया
जिसने प्रेम भाव निभाया
जिसने प्राणियो को जीने की कला सिखाई
जिसने गीता जैसा पावन ग्रन्थ कह डाला
जिसने रासलीला रचाई
जिसने हमें जीना सिखाया
जिसने हमें माधुर्य रस का आनंद दिया
जो हैं भक्तो का भगवान्
जो सुनते पुकार हैं जो जीवन का आधार है उन्ही करुणामयी ममतामयी प्रभुत्व सरकार के जन्मोत्सव जन्माष्टमी की कोटि कोटि बधाई सभी बन्धुओं को।
आप से निवेदन है कि हिन्दू धर्म को बदनाम करने वाले मैसेज हरगिज आगे ना फैलाएं जैसे कि कृष्ण भगवान को डोन या भाई या ओर भी कोइ कुंठित नाम से मैसेज मे लिखना।
धन्यवाद
SCHOOL BUILDING WORK PROGRESS
Shri Mukesh Dass
year 2017-18 school bhilding work progress photos
शनि उपाय के पौराणिक शनि मंत्र
रामबाण शनि उपाय के पौराणिक शनि मंत्र :-
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामी शनैश्चरम्॥
यह बहुत ही शीघ्र फ़ल देने वाला शनि मंत्र है. माना जाता है
यदि इस मंत्र को स्वयं या किसी प्रखर विद्वान से करवाया जाएँ तो जातक को राजा के सभान वैभव प्राप्त होता है |
वैदिक शनि मंत्र –
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शं योरभिस्त्रवन्तु न:।।
इस मंत्र का सुबह-शाम दो माला जाप करने से शनि की प्रसन्नता और कृपा प्राप्ति होती है.
शनि गायत्री मंत्र –
ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो शनि: प्रचोदयात्।
घर में सदैव सुख-शान्ति का माहौल बना रहे, इसके लिए शनि गायत्री मंत्र का जाप करें |
शनि स्तुति –
कोणस्थ: पिंगलो वभ्रू: कृष्णौ रौद्रान्त को यम:।
सौरि:शनैश्चरौ मंद: पिप्पलादेन संस्तु:॥
सुबह स्नानादि से निवृत होकर इस शनि स्तुति का पाठ करने से पूरा दिन सुखमय व उल्लासपूर्ण बीतता है |
शनि ग्रह पीड़ा निवारण मंत्र –
सूर्यपुत्रे दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिवप्रिय:।
मंदचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु में शनि:॥
प्रातः काल सूर्य नमस्कार कर इस मंत्र का जाप करें. भगवान शनि के प्रकोप को कम करने का बहुत ही उपयोगी मंत्र है |
बीज मंत्र –
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
शनि उपासना के लिए इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करने से भगवान शनि की कृपा प्राप्ति होती है |
शनि ग्रह पीड़ा नाशक मंत्र –
ऊँ शं शनैश्चराय नम: |
अत्यंत सरल इस शनि मंत्र के द्वारा, शनि के प्रकोप से सुरक्षा तो होती ही है साथ मनुष्यों की सभी मंगलकामनाएँ भी पूर्णं होती हैं |
गुरु की गरिमा से बड़ा नहीं कहीं आकार
Ramseva Trust
गुरु की उर्जा सूर्य-सी, अम्बर-सा विस्तार
.गुरु की गरिमा से बड़ा, नहीं कहीं आकार.
गुरु का सद्सान्निध्य ही,जग में हैं
उपहार.प्रस्तर को क्षण-क्षण गढ़े,
मूरत हो तैयार.गुरु वशिष्ठ होते नहीं,
और न विश्वामित्र.तुम्हीं बताओ राम का,
होता प्रखर चरित्र?गुरुवर पर श्रद्धा रखें,
हृदय रखें विश्वास.निर्मल होगी बुद्धि तब,
जैसे रुई- कपास.गुरु की करके वंदना,
बदल भाग्य के लेख.बिना आँख के सूर ने,
कृष्ण लिए थे देख.गुरु से गुरुता ग्रहणकर,
लघुता रख भरपूर.लघुता से प्रभुता मिले,
प्रभुता से प्रभु दूर.गुरु ब्रह्मा-गुरु विष्णु है,
गुरु ही मान महेश.गुरु से अन्तर-पट खुलें,
गुरु ही हैं परमेश.गुरु की कर आराधना,
अहंकार को त्याग.गुरु ने बदले जगत में,
कितने ही हतभाग.गुरु की पारस दृष्टि से ,
लोह बदलता रूप.स्वर्ण कांति-सी बुद्धि हो,
ऐसी शक्ति अनूप.गुरु ने ही लव-कुश गढ़े ,
बने प्रतापी वीर.अश्व रोक कर राम का,
चला दिए थे तीर.गुरु ने साधे जगत के,
साधन सभी असाध्य.गुरु-पूजन, गुरु-वंदना,
गुरु ही है आराध्य.गुरु से नाता शिष्य का,
श्रद्धा भाव अनन्य.शिष्य सीखकर धन्य हो,
गुरु भी होते धन्य.गुरु के अंदर ज्ञान का,
कल-कल करे निनाद.जिसने अवगाहन किया,
उसे मिला मधु-स्वाद.गुरु के जीवन मूल्य ही,
जग में दें संतोष.अहम मिटा दें बुद्धि के,
मिटें लोभ के दोष.गुरु चरणों की वंदना,
दे आनन्द अपार.गुरु की पदरज तार दे,
खुलें मुक्ति के द्वार.गुरु की दैविक दृष्टि ने,
हरे जगत के क्लेश.पुण्य कर्म सद्कर्म से,
बदल दिए परिवेश.गुरु से लेकर प्रेरणा,
मन में रख विश्वास.अविचल श्रद्धा भक्ति ने,
बदले हैं इतिहास.गुरु में अन्तर ज्ञान का,
धक-धक करे प्रकाश.ज्ञान-ज्योति जाग्रत करे,
करे पाप का नाश.गुरु ही सींचे बुद्धि को,
उत्तम करे विचार.जिससे जीवन शिष्य का,
बने स्वयं उपहार.गुरु गुरुता को बाँटते,
कर लघुता का नाश.गुरु की भक्ति-युक्ति ही,
काट रही भवपाश |
शिव सहस्त्रनामावली
ऊँ स्थिराय नमः, ऊँ स्थाणवे नमः, ऊँ प्रभवे नमः, ऊँ भीमाय नमः, ऊँ प्रवराय नमः, ऊँ वरदाय नमः, ऊँ वराय नमः, ऊँ सर्वात्मने नमः, ऊँ सर्वविख्याताय नमः, ऊँ सर्वस्मै नमः ऊँ सर्वकाराय नमः, ऊँ भवाय नमः, ऊँ जटिने नमः, ऊँ चर्मिणे नमः,ऊँ शिखण्डिने नमः, ऊँ सर्वांङ्गाय नमः, ऊँ सर्वभावाय नमः, ऊँ हराय नमः, ऊँ हरिणाक्षाय नमः, ऊँ सर्वभूतहराय नमः ऊँ प्रभवे नमः, ऊँ प्रवृत्तये नमः, ऊँ निवृत्तये नमः, ऊँ नियताय नमः, ऊँ शाश्वताय नमः, ऊँ ध्रुवाय नमः, ऊँ श्मशानवासिने नमः, ऊँ भगवते नमः, ऊँ खेचराय नमः, ऊँ गोचराय नमः ऊँ अर्दनाय नमः, ऊँ अभिवाद्याय नमः, ऊँ महाकर्मणे नमः, ऊँ तपस्विने नमः, ऊँ भूतभावनाय नमः, ऊँ उन्मत्तवेषप्रच्छन्नाय नमः, ऊँ सर्वलोकप्रजापतये नमः, ऊँ महारूपाय नमः, ऊँ महाकायाय नमः, ऊँ वृषरूपाय नमः ऊँ महायशसे नमः, ऊँ महात्मने नमः, ऊँ सर्वभूतात्मने नमः, ऊँ विश्वरूपाय नमः, ऊँ महाहनवे नमः, ऊँ लोकपालाय नमः, ऊँ अंतर्हितात्मने नमः, ऊँ प्रसादाय नमः, ऊँ हयगर्दभाय नमः, ऊँ पवित्राय नमः(५०)
ऊँ महते नमः, ऊँ नियमाय नमः, ऊँ नियमाश्रिताय नमः, ऊँ सर्वकर्मणे नमः, ऊँ स्वयंभूताय नमः, ऊँ आदये नमः, ऊँ आदिकराय नमः, ऊँ निधये नमः, ऊँ सहस्राक्षाय नमः, ऊँ विशालाक्षाय नमः, ऊँ सोमाय नमः, ऊँ नक्षत्रसाधकाय नमः, ऊँ चंद्राय नमः, ऊँ सूर्याय नमः, ऊँ शनये नमः, ऊँ केतवे नमः, ऊँ ग्रहाय नमः, ऊँ ग्रहपतये नमः, ऊँ वराय नमः, ऊँ अत्रये नमः, ऊँ अत्र्यानमस्कर्त्रे नमः, ऊँ मृगबाणार्पणाय नमः, ऊँ अनघाय नमः,ऊँ महातपसे नमः, ऊँ घोरतपसे नमः, ऊँ अदीनाय नमः, ऊँ दीनसाधककराय नमः, ऊँ संवत्सरकराय नमः, ऊँ मंत्राय नमः, ऊँ प्रमाणाय नमः, ऊँ परमन्तपाय नमः, ऊँ योगिने नमः, ऊँ योज्याय नमः, ऊँ महाबीजाय नमः, ऊँ महारेतसे नमः, ऊँ महाबलाय नमः, ऊँ सुवर्णरेतसे नमः, ऊँ सर्वज्ञाय नमः, ऊँ सुबीजाय नमः, ऊँ बीजवाहनाय नमः, ऊँ दशबाहवे नमः, ऊँ अनिमिषाय नमः, ऊँ नीलकण्ठाय नमः, ऊँ उमापतये नमः, ऊँ विश्वरूपाय नमः, ऊँ स्वयंश्रेष्ठाय नमः, ऊँ बलवीराय नमः, ऊँ अबलोगणाय नमः, ऊँ गणकर्त्रे नमः, ऊँ गणपतये नमः (१००)
ऊँ दिग्वाससे नमः, ऊँ कामाय नमः, ऊँ मंत्रविदे नमः, ऊँ परममन्त्राय नमः, ऊँ सर्वभावकराय नमः, ऊँ हराय नमः, ऊँ कमण्डलुधराय नमः, ऊँ धन्विते नमः, ऊँ बाणहस्ताय नमः, ऊँ कपालवते नमः, ऊँ अशनिने नमः, ऊँ शतघ्निने नमः, ऊँ खड्गिने नमः, ऊँ पट्टिशिने नमः, ऊँ आयुधिने नमः, ऊँ महते नमः, ऊँ स्रुवहस्ताय नमः, ऊँ सुरूपाय नमः, ऊँ तेजसे नमः, ऊँ तेजस्करनिधये नमः ऊँ उष्णीषिणे नमः, ऊँ सुवक्त्राय नमः, ऊँ उदग्राय नमः, ऊँ विनताय नमः, ऊँ दीर्घाय नमः, ऊँ हरिकेशाय नमः, ऊँ सुतीर्थाय नमः, ऊँ कृष्णाय नमः, ऊँ श्रृगालरूपाय नमः,ऊँ सिद्धार्थाय नमः ऊँ मुण्डाय नमः, ऊँ सर्वशुभंकराय नमः, ऊँ अजाय नमः, ऊँ बहुरूपाय नमः, ऊँ गन्धधारिणे नमः, ऊँ कपर्दिने नमः, ऊँ उर्ध्वरेतसे नमः, ऊँ उर्ध्वलिंगाय नमः, ऊँ उर्ध्वशायिने नमः, ऊँ नभस्थलाय नमः, ऊँ त्रिजटाय नमः, ऊँ चीरवाससे नमः,ऊँ रूद्राय नमः, ऊँ सेनापतये नमः, ऊँ विभवे नमः, ऊँ अहश्चराय नमः, ऊँ नक्तंचराय नमः, ऊँ तिग्ममन्यवे नमः, ऊँ सुवर्चसाय नमः, ऊँ गजघ्ने नमः (१५०)
ऊँ दैत्यघ्ने नमः, ऊँ कालाय नमः, ऊँ लोकधात्रे नमः, ऊँ गुणाकराय नमः, ऊँ सिंहसार्दूलरूपाय नमः, ऊँ आर्द्रचर्माम्बराय नमः, ऊँ कालयोगिने नमः, ऊँ महानादाय नमः, ऊँ सर्वकामाय नमः, ऊँ चतुष्पथाय नमः, ऊँ निशाचराय नमः, ऊँ प्रेतचारिणे नमः, ऊँ भूतचारिणे नमः, ऊँ महेश्वराय नमः, ऊँ बहुभूताय नमः,ऊँ बहुधराय नमः, ऊँ स्वर्भानवे नमः, ऊँ अमिताय नमः, ऊँ गतये नमः, ऊँ नृत्यप्रियाय नमः, ऊँ नृत्यनर्ताय नमः, ऊँ नर्तकाय नमः, ऊँ सर्वलालसाय नमः, ऊँ घोराय नमः, ऊँ महातपसे नमः,ऊँ पाशाय नमः, ऊँ नित्याय नमः, ऊँ गिरिरूहाय नमः, ऊँ नभसे नमः, ऊँ सहस्रहस्ताय नमः, ऊँ विजयाय नमः, ऊँ व्यवसायाय नमः, ऊँ अतन्द्रियाय नमः, ऊँ अधर्षणाय नमः, ऊँ धर्षणात्मने नमः, ऊँ यज्ञघ्ने नमः, ऊँ कामनाशकाय नमः, ऊँ दक्षयागापहारिणे नमः, ऊँ सुसहाय नमः, ऊँ मध्यमाय नमः, ऊँ तेजोपहारिणे नमः, ऊँ बलघ्ने नमः, ऊँ मुदिताय नमः, ऊँ अर्थाय नमः, ऊँ अजिताय नमः, ऊँ अवराय नमः, ऊँ गम्भीरघोषाय नमः, ऊँ गम्भीराय नमः, ऊँ गंभीरबलवाहनाय नमः, ऊँ न्यग्रोधरूपाय नमः (२००)
ऊँ न्यग्रोधाय नमः, ऊँ वृक्षकर्णस्थितये नमः, ऊँ विभवे नमः, ऊँ सुतीक्ष्णदशनाय नमः, ऊँ महाकायाय नमः, ऊँ महाननाय नमः,ऊँ विश्वकसेनाय नमः, ऊँ हरये नमः, ऊँ यज्ञाय नमः, ऊँ संयुगापीडवाहनाय नमः, ऊँ तीक्ष्णतापाय नमः, ऊँ हर्यश्वाय नमः, ऊँ सहायाय नमः, ऊँ कर्मकालविदे नमः, ऊँ विष्णुप्रसादिताय नमः, ऊँ यज्ञाय नमः, ऊँ समुद्राय नमः, ऊँ वडमुखाय नमः, ऊँ हुताशनसहायाय नमः, ऊँ प्रशान्तात्मने नमः,ऊँ हुताशनाय नमः, ऊँ उग्रतेजसे नमः, ऊँ महातेजसे नमः, ऊँ जन्याय नमः, ऊँ विजयकालविदे नमः, ऊँ ज्योतिषामयनाय नमः, ऊँ सिद्धये नमः, ऊँ सर्वविग्रहाय नमः, ऊँ शिखिने नमः, ऊँ मुण्डिने नमः, ऊँ जटिने नमः, ऊँ ज्वालिने नमः, ऊँ मूर्तिजाय नमः, ऊँ मूर्ध्दगाय नमः, ऊँ बलिने नमः, ऊँ वेणविने नमः, ऊँ पणविने नमः, ऊँ तालिने नमः, ऊँ खलिने नमः, ऊँ कालकंटकाय नमः, ऊँ नक्षत्रविग्रहमतये नमः, ऊँ गुणबुद्धये नमः, ऊँ लयाय नमः, ऊँ अगमाय नमः, ऊँ प्रजापतये नमः, ऊँ विश्वबाहवे नमः,ऊँ विभागाय नमः, ऊँ सर्वगाय नमः, ऊँ अमुखाय नमः, ऊँ विमोचनाय नमः (२५०)
ऊँ सुसरणाय नमः, ऊँ हिरण्यकवचोद्भाय नमः, ऊँ मेढ्रजाय नमः,ऊँ बलचारिणे नमः, ऊँ महीचारिणे नमः, ऊँ स्रुत्याय नमः, ऊँ सर्वतूर्यनिनादिने नमः, ऊँ सर्वतोद्यपरिग्रहाय नमः, ऊँ व्यालरूपाय नमः, ऊँ गुहावासिने नमः, ऊँ गुहाय नमः, ऊँ मालिने नमः, ऊँ तरंगविदे नमः, ऊँ त्रिदशाय नमः, ऊँ त्रिकालधृगे नमः,ऊँ कर्मसर्वबन्ध–विमोचनाय नमः, ऊँ असुरेन्द्राणां बन्धनाय नमः, ऊँ युधि शत्रुवानाशिने नमः, ऊँ सांख्यप्रसादाय नमः, ऊँ दुर्वाससे नमः, ऊँ सर्वसाधुनिषेविताय नमः, ऊँ प्रस्कन्दनाय नमः, ऊँ विभागज्ञाय नमः, ऊँ अतुल्याय नमः, ऊँ यज्ञविभागविदे नमः, ऊँ सर्वचारिणे नमः, ऊँ सर्ववासाय नमः, ऊँ दुर्वाससे नमः,ऊँ वासवाय नमः, ऊँ अमराय नमः, ऊँ हैमाय नमः, ऊँ हेमकराय नमः, ऊँ अयज्ञसर्वधारिणे नमः, ऊँ धरोत्तमाय नमः, ऊँ लोहिताक्षाय नमः, ऊँ महाक्षाय नमः, ऊँ विजयाक्षाय नमः, ऊँ विशारदाय नमः, ऊँ संग्रहाय नमः, ऊँ निग्रहाय नमः, ऊँ कर्त्रे नमः, ऊँ सर्पचीरनिवसनाय नमः, ऊँ मुख्याय नमः, ऊँ अमुख्याय नमः, ऊँ देहाय नमः, ऊँ काहलये नमः, ऊँ सर्वकामदाय नमः, ऊँ सर्वकालप्रसादाय नमः, ऊँ सुबलाय नमः, ऊँ बलरूपधृगे नमः(३००)
ऊँ सर्वकामवराय नमः, ऊँ सर्वदाय नमः, ऊँ सर्वतोमुखाय नमः,ऊँ आकाशनिर्विरूपाय नमः, ऊँ निपातिने नमः, ऊँ अवशाय नमः,ऊँ खगाय नमः, ऊँ रौद्ररूपाय नमः, ऊँ अंशवे नमः, ऊँ आदित्याय नमः, ऊँ बहुरश्मये नमः, ऊँ सुवर्चसिने नमः, ऊँ वसुवेगाय नमः,ऊँ महावेगाय नमः, ऊँ मनोवेगाय नमः, ऊँ निशाचराय नमः, ऊँ सर्ववासिने नमः, ऊँ श्रियावासिने नमः, ऊँ उपदेशकराय नमः, ऊँ अकराय नमः, ऊँ मुनये नमः, ऊँ आत्मनिरालोकाय नमः, ऊँ संभग्नाय नमः, ऊँ सहस्रदाय नमः, ऊँ पक्षिणे नमः, ऊँ पक्षरूपाय नमः, ऊँ अतिदीप्ताय नमः, ऊँ विशाम्पतये नमः, ऊँ उन्मादाय नमः, ऊँ मदनाय नमः, ऊँ कामाय नमः, ऊँ अश्वत्थाय नमः, ऊँ अर्थकराय नमः, ऊँ यशसे नमः, ऊँ वामदेवाय नमः, ऊँ वामाय नमः, ऊँ प्राचे नमः, ऊँ दक्षिणाय नमः, ऊँ वामनाय नमः, ऊँ सिद्धयोगिने नमः, ऊँ महर्षये नमः, ऊँ सिद्धार्थाय नमः, ऊँ सिद्धसाधकाय नमः, ऊँ भिक्षवे नमः, ऊँ भिक्षुरूपाय नमः, ऊँ विपणाय नमः, ऊँ मृदवे नमः, ऊँ अव्ययाय नमः, ऊँ महासेनाय नमः, ऊँ विशाखाय नमः (३५०)
ऊँ षष्टिभागाय नमः, ऊँ गवाम्पतये नमः, ऊँ वज्रहस्ताय नमः,ऊँ विष्कम्भिने नमः, ऊँ चमुस्तंभनाय नमः, ऊँ वृत्तावृत्तकराय नमः, ऊँ तालाय नमः, ऊँ मधवे नमः, ऊँ मधुकलोचनाय नमः, ऊँ वाचस्पतये नमः, ऊँ वाजसनाय नमः, ऊँ नित्यमाश्रमपूजिताय नमः, ऊँ ब्रह्मचारिणे नमः, ऊँ लोकचारिणे नमः, ऊँ सर्वचारिणे नमः, ऊँ विचारविदे नमः, ऊँ ईशानाय नमः, ऊँ ईश्वराय नमः, ऊँ कालाय नमः, ऊँ निशाचारिणे नमः, ऊँ पिनाकधृगे नमः, ऊँ निमितस्थाय नमः, ऊँ निमित्ताय नमः, ऊँ नन्दये नमः, ऊँ नन्दिकराय नमः, ऊँ हरये नमः, ऊँ नन्दीश्वराय नमः, ऊँ नन्दिने नमः, ऊँ नन्दनाय नमः, ऊँ नंन्दीवर्धनाय नमः, ऊँ भगहारिणे नमः, ऊँ निहन्त्रे नमः, ऊँ कालाय नमः, ऊँ ब्रह्मणे नमः, ऊँ पितामहाय नमः, ऊँ चतुर्मुखाय नमः, ऊँ महालिंगाय नमः, ऊँ चारूलिंगाय नमः, ऊँ लिंगाध्यक्षाय नमः, ऊँ सुराध्यक्षाय नमः,ऊँ योगाध्यक्षाय नमः, ऊँ युगावहाय नमः, ऊँ बीजाध्यक्षाय नमः,ऊँ बीजकर्त्रे नमः, ऊँ अध्यात्मानुगताय नमः, ऊँ बलाय नमः, ऊँ इतिहासाय नमः, ऊँ सकल्पाय नमः, ऊँ गौतमाय नमः, ऊँ निशाकराय नमः (४००)
ऊँ दम्भाय नमः, ऊँ अदम्भाय नमः, ऊँ वैदम्भाय नमः, ऊँ वश्याय नमः, ऊँ वशकराय नमः, ऊँ कलये नमः, ऊँ लोककर्त्रे नमः, ऊँ पशुपतये नमः, ऊँ महाकर्त्रे नमः, ऊँ अनौषधाय नमः, ऊँ अक्षराय नमः, ऊँ परब्रह्मणे नमः, ऊँ बलवते नमः, ऊँ शक्राय नमः, ऊँ नीतये नमः, ऊँ अनीतये नमः, ऊँ शुद्धात्मने नमः, ऊँ मान्याय नमः, ऊँ शुद्धाय नमः, ऊँ गतागताय नमः, ऊँ बहुप्रसादाय नमः, ऊँ सुस्पप्नाय नमः, ऊँ दर्पणाय नमः,ऊँ अमित्रजिते नमः, ऊँ वेदकराय नमः, ऊँ मंत्रकराय नमः, ऊँ विदुषे नमः, ऊँ समरमर्दनाय नमः, ऊँ महामेघनिवासिने नमः, ऊँ महाघोराय नमः, ऊँ वशिने नमः, ऊँ कराय नमः, ऊँ अग्निज्वालाय नमः, ऊँ महाज्वालाय नमः, ऊँ अतिधूम्राय नमः,ऊँ हुताय नमः, ऊँ हविषे नमः, ऊँ वृषणाय नमः, ऊँ शंकराय नमः,ऊँ नित्यंवर्चस्विने नमः, ऊँ धूमकेताय नमः, ऊँ नीलाय नमः, ऊँ अंगलुब्धाय नमः, ऊँ शोभनाय नमः, ऊँ निरवग्रहाय नमः, ऊँ स्वस्तिदायकाय नमः, ऊँ स्वस्तिभावाय नमः, ऊँ भागिने नमः,ऊँ भागकराय नमः, ऊँ लघवे नमः(४५०)
ऊँ उत्संगाय नमः, ऊँ महांगाय नमः, ऊँ महागर्भपरायणाय नमः, ऊँ कृष्णवर्णाय नमः,ऊँ सुवर्णाय नमः, ऊँ सर्वदेहिनामिनिन्द्राय नमः, ऊँ महापादाय नमः, ऊँ महाहस्ताय नमः, ऊँ महाकायाय नमः, ऊँ महायशसे नमः, ऊँ महामूर्धने नमः, ऊँ महामात्राय नमः, ऊँ महानेत्राय नमः, ऊँ निशालयाय नमः, ऊँ महान्तकाय नमः, ऊँ महाकर्णाय नमः, ऊँ महोष्ठाय नमः, ऊँ महाहनवे नमः, ऊँ महानासाय नमः,ऊँ महाकम्बवे नमः, ऊँ महाग्रीवाय नमः, ऊँ श्मशानभाजे नमः,ऊँ महावक्षसे नमः, ऊँ महोरस्काय नमः, ऊँ अंतरात्मने नमः, ऊँ मृगालयाय नमः, ऊँ लंबनाय नमः, ऊँ लम्बितोष्ठाय नमः, ऊँ महामायाय नमः, ऊँ पयोनिधये नमः, ऊँ महादन्ताय नमः, ऊँ महाद्रष्टाय नमः, ऊँ महाजिह्वाय नमः, ऊँ महामुखाय नमः, ऊँ महारोम्णे नमः, ऊँ महाकोशाय नमः, ऊँ महाजटाय नमः, ऊँ प्रसन्नाय नमः, ऊँ प्रसादाय नमः, ऊँ प्रत्ययाय नमः, ऊँ गिरिसाधनाय नमः, ऊँ स्नेहनाय नमः, ऊँ अस्नेहनाय नमः, ऊँ अजिताय नमः, ऊँ महामुनये नमः, ऊँ वृक्षाकाराय नमः, ऊँ वृक्षकेतवे नमः, ऊँ अनलाय नमः, ऊँ वायुवाहनाय नमः (५००)
ऊँ गण्डलिने नमः, ऊँ मेरूधाम्ने नमः, ऊँ देवाधिपतये नमः, ऊँ अथर्वशीर्षाय नमः, ऊँ सामास्या नमः, ऊँ ऋक्सहस्रामितेक्षणाय नमः, ऊँ यजुः पादभुजाय नमः, ऊँ गुह्याय नमः, ऊँ प्रकाशाय नमः, ऊँ जंगमाय नमः, ऊँ अमोघार्थाय नमः, ऊँ प्रसादाय नमः, ऊँ अभिगम्याय नमः, ऊँ सुदर्शनाय नमः, ऊँ उपकाराय नमः, ऊँ प्रियाय नमः, ऊँ सर्वाय नमः, ऊँ कनकाय नमः, ऊँ काञ्चनवच्छये नमः, ऊँ नाभये नमः, ऊँ नन्दिकराय नमः, ऊँ भावाय नमः, ऊँ पुष्करथपतये नमः, ऊँ स्थिराय नमः, ऊँ द्वादशाय नमः, ऊँ त्रासनाय नमः, ऊँ आद्याय नमः, ऊँ यज्ञाय नमः, ऊँ यज्ञसमाहिताय नमः, ऊँ नक्तंस्वरूपाय नमः, ऊँ कलये नमः, ऊँ कालाय नमः, ऊँ मकराय नमः, ऊँ कालपूजिताय नमः, ऊँ सगणाय नमः, ऊँ गणकराय नमः, ऊँ भूतवाहनसारथये नमः, ऊँ भस्मशयाय नमः, ऊँ भस्मगोप्त्रे नमः, ऊँ भस्मभूताय नमः, ऊँ तरवे नमः, ऊँ गणाय नमः, ऊँ लोकपालाय नमः, ऊँ आलोकाय नमः, ऊँ महात्मने नमः, ऊँ सर्वपूजिताय नमः, ऊँ शुक्लाय नमः, ऊँ त्रिशुक्लाय नमः, ऊँ संपन्नाय नमः, ऊँ शुचये नमः (५५०)
ऊँ भूतनिशेविताय नमः, ऊँ आश्रमस्थाय नमः, ऊँ क्रियावस्थाय नमः, ऊँ विश्वकर्ममतये नमः, ऊँ वराय नमः, ऊँ विशालशाखाय नमः, ऊँ ताम्रोष्ठाय नमः, ऊँ अम्बुजालाय नमः, ऊँ सुनिश्चलाय नमः, ऊँ कपिलाय नमः, ऊँ कपिशाय नमः, ऊँ शुक्लाय नमः, ऊँ आयुषे नमः, ऊँ पराय नमः, ऊँ अपराय नमः, ऊँ गंधर्वाय नमः, ऊँ अदितये नमः, ऊँ ताक्ष्याय नमः, ऊँ सुविज्ञेयाय नमः, ऊँ सुशारदाय नमः, ऊँ परश्वधायुधाय नमः, ऊँ देवाय नमः, ऊँ अनुकारिणे नमः, ऊँ सुबान्धवाय नमः, ऊँ तुम्बवीणाय नमः, ऊँ महाक्रोधाय नमः, ऊँ ऊर्ध्वरेतसे नमः, ऊँ जलेशयाय नमः, ऊँ उग्राय नमः, ऊँ वंशकराय नमः, ऊँ वंशाय नमः, ऊँ वंशानादाय नमः, ऊँ अनिन्दिताय नमः, ऊँ सर्वांगरूपाय नमः, ऊँ मायाविने नमः, ऊँ सुहृदे नमः, ऊँ अनिलाय नमः, ऊँ अनलाय नमः, ऊँ बन्धनाय नमः, ऊँ बन्धकर्त्रे नमः, ऊँ सुवन्धनविमोचनाय नमः, ऊँ सयज्ञयारये नमः, ऊँ सकामारये नमः, ऊँ महाद्रष्टाय नमः, ऊँ महायुधाय नमः, ऊँ बहुधानिन्दिताय नमः, ऊँ शर्वाय नमः, ऊँ शंकराय नमः, ऊँ शं कराय नमः, ऊँ अधनाय नमः (६००)
ऊँ अमरेशाय नमः, ऊँ महादेवाय नमः, ऊँ विश्वदेवाय नमः, ऊँ सुरारिघ्ने नमः, ऊँ अहिर्बुद्धिन्याय नमः, ऊँ अनिलाभाय नमः, ऊँ चेकितानाय नमः, ऊँ हविषे नमः, ऊँ अजैकपादे नमः, ऊँ कापालिने नमः, ऊँ त्रिशंकवे नमः, ऊँ अजिताय नमः, ऊँ शिवाय नमः, ऊँ धन्वन्तरये नमः, ऊँ धूमकेतवे नमः, ऊँ स्कन्दाय नमः, ऊँ वैश्रवणाय नमः, ऊँ धात्रे नमः, ऊँ शक्राय नमः, ऊँ विष्णवे नमः, ऊँ मित्राय नमः, ऊँ त्वष्ट्रे नमः, ऊँ ध्रुवाय नमः, ऊँ धराय नमः, ऊँ प्रभावाय नमः, ऊँ सर्वगोवायवे नमः, ऊँ अर्यम्णे नमः, ऊँ सवित्रे नमः, ऊँ रवये नमः, ऊँ उषंगवे नमः, ऊँ विधात्रे नमः, ऊँ मानधात्रे नमः, ऊँ भूतवाहनाय नमः, ऊँ विभवे नमः, ऊँ वर्णविभाविने नमः, ऊँ सर्वकामगुणवाहनाय नमः, ऊँ पद्मनाभाय नमः, ऊँ महागर्भाय नमः, चन्द्रवक्त्राय नमः, ऊँ अनिलाय नमः, ऊँ अनलाय नमः, ऊँ बलवते नमः, ऊँ उपशान्ताय नमः, ऊँ पुराणाय नमः, ऊँ पुण्यचञ्चवे नमः, ऊँ ईरूपाय नमः, ऊँ कुरूकर्त्रे नमः, ऊँ कुरूवासिने नमः, ऊँ कुरूभूताय नमः, ऊँ गुणौषधाय नमः (६५०)
ऊँ सर्वाशयाय नमः, ऊँ दर्भचारिणे नमः, ऊँ सर्वप्राणिपतये नमः, ऊँ देवदेवाय नमः, ऊँ सुखासक्ताय नमः, ऊँ सत स्वरूपाय नमः, ऊँ असत् रूपाय नमः, ऊँ सर्वरत्नविदे नमः, ऊँ कैलाशगिरिवासने नमः, ऊँ हिमवद्गिरिसंश्रयाय नमः, ऊँ कूलहारिणे नमः, ऊँ कुलकर्त्रे नमः, ऊँ बहुविद्याय नमः, ऊँ बहुप्रदाय नमः, ऊँ वणिजाय नमः, ऊँ वर्धकिने नमः, ऊँ वृक्षाय नमः, ऊँ बकुलाय नमः, ऊँ चंदनाय नमः, ऊँ छदाय नमः, ऊँ सारग्रीवाय नमः, ऊँ महाजत्रवे नमः, ऊँ अलोलाय नमः, ऊँ महौषधाय नमः, ऊँ सिद्धार्थकारिणे नमः, ऊँ छन्दोव्याकरणोत्तर-सिद्धार्थाय नमः, ऊँ सिंहनादाय नमः, ऊँ सिंहद्रंष्टाय नमः, ऊँ सिंहगाय नमः, ऊँ सिंहवाहनाय नमः, ऊँ प्रभावात्मने नमः, ऊँ जगतकालस्थालाय नमः, ऊँ लोकहिताय नमः, ऊँ तरवे नमः, ऊँ सारंगाय नमः, ऊँ नवचक्रांगाय नमः, ऊँ केतुमालिने नमः, ऊँ सभावनाय नमः, ऊँ भूतालयाय नमः, ऊँ भूतपतये नमः, ऊँ अहोरात्राय नमः, ऊँ अनिन्दिताय नमः, ऊँ सर्वभूतवाहित्रे नमः, ऊँ सर्वभूतनिलयाय नमः, ऊँ विभवे नमः, ऊँ भवाय नमः, ऊँ अमोघाय नमः, ऊँ संयताय नमः, ऊँ अश्वाय नमः, ऊँ भोजनाय नमः, (७००)
ऊँ प्राणधारणाय नमः, ऊँ धृतिमते नमः, ऊँ मतिमते नमः, ऊँ दक्षाय नमःऊँ सत्कृयाय नमः, ऊँ युगाधिपाय नमः, ऊँ गोपाल्यै नमः, ऊँ गोपतये नमः, ऊँ ग्रामाय नमः, ऊँ गोचर्मवसनाय नमः, ऊँ हरये नमः, ऊँ हिरण्यबाहवे नमः, ऊँ प्रवेशिनांगुहापालाय नमः, ऊँ प्रकृष्टारये नमः, ऊँ महाहर्षाय नमः, ऊँ जितकामाय नमः, ऊँ जितेन्द्रियाय नमः, ऊँ गांधाराय नमः, ऊँ सुवासाय नमः, ऊँ तपःसक्ताय नमः, ऊँ रतये नमः, ऊँ नराय नमः, ऊँ महागीताय नमः, ऊँ महानृत्याय नमः, ऊँ अप्सरोगणसेविताय नमः, ऊँ महाकेतवे नमः, ऊँ महाधातवे नमः, ऊँ नैकसानुचराय नमः, ऊँ चलाय नमः, ऊँ आवेदनीयाय नमः, ऊँ आदेशाय नमः, ऊँ सर्वगंधसुखावहाय नमः, ऊँ तोरणाय नमः, ऊँ तारणाय नमः, ऊँ वाताय नमः, ऊँ परिधये नमः, ऊँ पतिखेचराय नमः, ऊँ संयोगवर्धनाय नमः, ऊँ वृद्धाय नमः, ऊँ गुणाधिकाय नमः, ऊँ अतिवृद्धाय नमः, ऊँ नित्यात्मसहायाय नमः, ऊँ देवासुरपतये नमः, ऊँ पत्ये नमः, ऊँ युक्ताय नमः, ऊँ युक्तबाहवे नमः, ऊँ दिविसुपर्वदेवाय नमः, ऊँ आषाढाय नमः, ऊँ सुषाढ़ाय नमः, ऊँ ध्रुवाय नमः (७५०)
ऊँ हरिणाय नमः, ऊँ हराय नमः, ऊँ आवर्तमानवपुषे नमः, ऊँ वसुश्रेष्ठाय नमः, ऊँ महापथाय नमः, ऊँ विमर्षशिरोहारिणे नमः, ऊँ सर्वलक्षणलक्षिताय नमः, ऊँ अक्षरथयोगिने नमः, ऊँ सर्वयोगिने नमः, ऊँ महाबलाय नमः, ऊँ समाम्नायाय नमः, ऊँ असाम्नायाय नमः, ऊँ तीर्थदेवाय नमः, ऊँ महारथाय नमः, ऊँ निर्जीवाय नमः, ऊँ जीवनाय नमः, ऊँ मंत्राय नमः, ऊँ शुभाक्षाय नमः, ऊँ बहुकर्कशाय नमः, ऊँ रत्नप्रभूताय नमः, ऊँ रत्नांगाय नमः, ऊँ महार्णवनिपानविदे नमः, ऊँ मूलाय नमः, ऊँ विशालाय नमः, ऊँ अमृताय नमः, ऊँ व्यक्ताव्यवक्ताय नमः, ऊँ तपोनिधये नमः, ऊँ आरोहणाय नमः, ऊँ अधिरोहाय नमः, ऊँ शीलधारिणे नमः, ऊँ महायशसे नमः, ऊँ सेनाकल्पाय नमः, ऊँ महाकल्पाय नमः, ऊँ योगाय नमः, ऊँ युगकराय नमः, ऊँ हरये नमः, ऊँ युगरूपाय नमः, ऊँ महारूपाय नमः, ऊँ महानागहतकाय नमः, ऊँ अवधाय नमः, ऊँ न्यायनिर्वपणाय नमः, ऊँ पादाय नमः, ऊँ पण्डिताय नमः, ऊँ अचलोपमाय नमः, ऊँ बहुमालाय नमः, ऊँ महामालाय नमः, ऊँ शशिहरसुलोचनाय नमः, ऊँ विस्तारलवणकूपाय नमः, ऊँ त्रिगुणाय नमः, ऊँ सफलोदयाय नमः (८००)
ऊँ त्रिलोचनाय नमः, ऊँ विषण्डागाय नमः, ऊँ मणिविद्धाय नमः, ऊँ जटाधराय नमः, ऊँ बिन्दवे नमः, ऊँ विसर्गाय नमः, ऊँ सुमुखाय नमः, ऊँ शराय नमः, ऊँ सर्वायुधाय नमः, ऊँ सहाय नमः, ऊँ सहाय नमः, ऊँ निवेदनाय नमः, ऊँ सुखाजाताय नमः, ऊँ सुगन्धराय नमः, ऊँ महाधनुषे नमः, ऊँ गंधपालिभगवते नमः, ऊँ सर्वकर्मोत्थानाय नमः, ऊँ मन्थानबहुलवायवे नमः, ऊँ सकलाय नमः, ऊँ सर्वलोचनाय नमः, ऊँ तलस्तालाय नमः, ऊँ करस्थालिने नमः, ऊँ ऊर्ध्वसंहननाय नमः, ऊँ महते नमः, ऊँ छात्राय नमः, ऊँ सुच्छत्राय नमः, ऊँ विख्यातलोकाय नमः, ऊँ सर्वाश्रयक्रमाय नमः, ऊँ मुण्डाय नमः, ऊँ विरूपाय नमः, ऊँ विकृताय नमः, ऊँ दण्डिने नमः, ऊँ कुदण्डिने नमः, ऊँ विकुर्वणाय नमः, ऊँ हर्यक्षाय नमः, ऊँ ककुभाय नमः, ऊँ वज्रिणे नमः, ऊँ शतजिह्वाय नमः, ऊँ सहस्रपदे नमः, ऊँ देवेन्द्राय नमः, ऊँ सर्वदेवमयाय नमः, ऊँ गुरवे नमः, ऊँ सहस्रबाहवे नमः, ऊँ सर्वांगाय नमः, ऊँ शरण्याय नमः, ऊँ सर्वलोककृते नमः, ऊँ पवित्राय नमः, ऊँ त्रिककुन्मंत्राय नमः, ऊँ कनिष्ठाय नमः, ऊँ कृष्णपिंगलाय नमः (८५०)
ऊँ ब्रह्मदण्डविनिर्मात्रे नमः, ऊँ शतघ्नीपाशशक्तिमते नमः, ऊँ पद्मगर्भाय नमः, ऊँ महागर्भाय नमः, ऊँ ब्रह्मगर्भाय नमः, ऊँ जलोद्भावाय नमः, ऊँ गभस्तये नमः, ऊँ ब्रह्मकृते नमः, ऊँ ब्रह्मिणे नमः, ऊँ ब्रह्मविदे नमः, ऊँ ब्राह्मणाय नमः, ऊँ गतये नमः, ऊँ अनंतरूपाय नमः, ऊँ नैकात्मने नमः, ऊँ स्वयंभुवतिग्मतेजसे नमः, ऊँ उर्ध्वगात्मने नमः, ऊँ पशुपतये नमः, ऊँ वातरंहसे नमः, ऊँ मनोजवाय नमः, ऊँ चंदनिने नमः, ऊँ पद्मनालाग्राय नमः, ऊँ सुरभ्युत्तारणाय नमः, ऊँ नराय नमः, ऊँ कर्णिकारमहास्रग्विणमे नमः, ऊँ नीलमौलये नमः, ऊँ पिनाकधृषे नमः, ऊँ उमापतये नमः, ऊँ उमाकान्ताय नमः, ऊँ जाह्नवीधृषे नमः, ऊँ उमादवाय नमः, ऊँ वरवराहाय नमः, ऊँ वरदाय नमः, ऊँ वरेण्याय नमः, ऊँ सुमहास्वनाय नमः, ऊँ महाप्रसादाय नमः, ऊँ दमनाय नमः, ऊँ शत्रुघ्ने नमः, ऊँ श्वेतपिंगलाय नमः, ऊँ पीतात्मने नमः, ऊँ परमात्मने नमः, ऊँ प्रयतात्मने नमः, ऊँ प्रधानधृषे नमः, ऊँ सर्वपार्श्वमुखाय नमः, ऊँ त्रक्षाय नमः, ऊँ धर्मसाधारणवराय नमः, ऊँ चराचरात्मने नमः, ऊँ सूक्ष्मात्मने नमः, ऊँ अमृतगोवृषेश्वराय नमः, ऊँ साध्यर्षये नमः, ऊँ आदित्यवसवे नमः (९००)
ऊँ विवस्वत्सवित्रमृताय नमः, ऊँ व्यासाय नमः, ऊँ सर्गसुसंक्षेपविस्तराय नमः, ऊँ पर्ययोनराय नमः, ऊँ ऋतवे नमः, ऊँ संवत्सराय नमः, ऊँ मासाय नमः, ऊँ पक्षाय नमः, ऊँ संख्यासमापनाय नमः, ऊँ कलायै नमः, ऊँ काष्ठायै नमः, ऊँ लवेभ्यो नमः, ऊँ मात्रेभ्यो नमः, ऊँ मुहूर्ताहःक्षपाभ्यो नमः, ऊँ क्षणेभ्यो नमः, ऊँ विश्वक्षेत्राय नमः, ऊँ प्रजाबीजाय नमः, ऊँ लिंगाय नमः, ऊँ आद्यनिर्गमाय नमः, ऊँ सत् स्वरूपाय नमः, ऊँ असत् रूपाय नमः, ऊँ व्यक्ताय नमः, ऊँ अव्यक्ताय नमः, ऊँ पित्रे नमः, ऊँ मात्रे नमः, ऊँ पितामहाय नमः, ऊँ स्वर्गद्वाराय नमः, ऊँ प्रजाद्वाराय नमः, ऊँ मोक्षद्वाराय नमः, ऊँ त्रिविष्टपाय नमः, ऊँ निर्वाणाय नमः, ऊँ ह्लादनाय नमः, ऊँ ब्रह्मलोकाय नमः, ऊँ परागतये नमः, ऊँ देवासुरविनिर्मात्रे नमः, ऊँ देवासुरपरायणाय नमः, ऊँ देवासुरगुरूवे नमः, ऊँ देवाय नमः, ऊँ देवासुरनमस्कृताय नमः, ऊँ देवासुरमहामात्राय नमः, ऊँ देवासुरमहामात्राय नमः, ऊँ देवासुरगणाश्रयाय नमः, ऊँ देवासुरगणाध्यक्षाय नमः, ऊँ देवासुरगणाग्रण्ये नमः, ऊँ देवातिदेवाय नमः, ऊँ देवर्षये नमः, ऊँ देवासुरवरप्रदाय नमः, ऊँ विश्वाय नमः, ऊँ देवासुरमहेश्वराय नमः, ऊँ सर्वदेवमयाय नमः(९५०)
ऊँ अचिंत्याय नमः, ऊँ देवात्मने नमः, ऊँ आत्मसंबवाय नमः, ऊँ उद्भिदे नमः, ऊँ त्रिविक्रमाय नमः, ऊँ वैद्याय नमः, ऊँ विरजाय नमः, ऊँ नीरजाय नमः, ऊँ अमराय नमः, ऊँ इड्याय नमः, ऊँ हस्तीश्वराय नमः, ऊँ व्याघ्राय नमः, ऊँ देवसिंहाय नमः, ऊँ नरर्षभाय नमः, ऊँ विभुदाय नमः, ऊँ अग्रवराय नमः, ऊँ सूक्ष्माय नमः, ऊँ सर्वदेवाय नमः, ऊँ तपोमयाय नमः, ऊँ सुयुक्ताय नमः, ऊँ शोभनाय नमः, ऊँ वज्रिणे नमः, ऊँ प्रासानाम्प्रभवाय नमः, ऊँ अव्ययाय नमः, ऊँ गुहाय नमः, ऊँ कान्ताय नमः, ऊँ निजसर्गाय नमः, ऊँ पवित्राय नमः, ऊँ सर्वपावनाय नमः, ऊँ श्रृंगिणे नमः, ऊँ श्रृंगप्रियाय नमः, ऊँ बभ्रवे नमः, ऊँ राजराजाय नमः, ऊँ निरामयाय नमः, ऊँ अभिरामाय नमः, ऊँ सुरगणाय नमः, ऊँ विरामाय नमः, ऊँ सर्वसाधनाय नमः, ऊँ ललाटाक्षाय नमः, ऊँ विश्वदेवाय नमः, ऊँ हरिणाय नमः, ऊँ ब्रह्मवर्चसे नमः, ऊँ स्थावरपतये नमः, ऊँ नियमेन्द्रियवर्धनाय नमः, ऊँ सिद्धार्थाय नमः, ऊँ सिद्धभूतार्थाय नमः, ऊँ अचिन्ताय नमः, ऊँ सत्यव्रताय नमः, ऊँ शुचये नमः, ऊँ व्रताधिपाय नमः, ऊँ पराय नमः, ऊँ ब्रह्मणे नमः, ऊँ भक्तानांपरमागतये नमः, ऊँ विमुक्ताय नमः, ऊँ मुक्ततेजसे नमः, ऊँ श्रीमते नमः, ऊँ श्रीवर्धनाय नमः, ऊँ श्री जगते नमः (१००८)
ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ।।
सूर्य और वास्तु
कौन सा समय किस काम के लिए होता है शुभ?
सूर्य, वास्तु शास्त्र को प्रभावित करता है इसलिए जरूरी है कि सूर्य के अनुसार ही हम भवन निर्माण करें तथा अपनी दिनचर्या भी सूर्य के अनुसार ही निर्धारित करें।
1: सूर्योदय से पहले रात्रि 3 से सुबह 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय सूर्य घर के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है। यह समय चिंतन-मनन व अध्ययन के लिए बेहतर होता है।
2: सुबह 6 से 9 बजे तक सूर्य घर के पूर्वी हिस्से में रहता है इसीलिए घर ऐसा बनाएं कि सूर्य की पर्याप्त रौशनी घर में आ सके।
3: प्रात: 9 से दोपहर 12 बजे तक सूर्य घर के दक्षिण-पूर्व में होता है। यह समय भोजन पकाने के लिए उत्तम है। रसोई घर व स्नानघर गीले होते हैं। ये ऐसी जगह होने चाहिए, जहां सूर्य की रोशनी मिले, तभी वे सुखे और स्वास्थ्यकर हो सकते हैं।
4: दोपहर 12 से 3 बजे तक विश्रांति काल(आराम का समय) होता है। सूर्य अब दक्षिण में होता है, अत: शयन कक्ष इसी दिशा में बनाना चाहिए।
5: दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक अध्ययन और कार्य का समय होता है और सूर्य दक्षिण-पश्चिम भाग में होता है। अत: यह स्थान अध्ययन कक्ष या पुस्तकालय के लिए उत्तम है।
6: सायं 6 से रात 9 तक का समय खाने, बैठने और पढऩे का होता है इसलिए घर का पश्चिमी कोना भोजन या बैठक कक्ष के लिए उत्तम होता है।
7: सायं 9 से मध्य रात्रि के समय सूर्य घर के उत्तर-पश्चिम में होता है। यह स्थान शयन कक्ष के लिए भी उपयोगी है।
8: मध्य रात्रि से तड़के 3 बजे तक सूर्य घर के उत्तरी भाग में होता है। यह समय अत्यंत गोपनीय होता है यह दिशा व समय कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को रखने के लिए उत्तम है।
दीपावली पर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए 51 उपाय – हिन्दुओं के सभी पर्वों में दीपावली का सबसे अधिक महत्तव है। इस पर्व पर धन की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने की लिए उनका पूजन किया जाता है। यदि इस दिन सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में सही विधि-विधान से लक्ष्मी का पूजन कर लिया जाए तो अगली दीपावली तक लक्ष्मी कृपा से घर में धन और धान्य की कमी नहीं आती है। शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जो दीपावली के दिन करने पर बहुत जल्दी लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है। यहां लक्ष्मी कृपा पाने के लिए 51 उपाय बताए जा रहे हैं और ये उपाय सभी राशि के लोगों द्वारा किए जा सकते हैं। यदि आप चाहे तो इन उपायों में से कई उपाय भी कर सकते हैं या सिर्फ कोई एक उपाय भी कर सकते हैं।
1. दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में हल्दी की गांठ भी रखें। पूजन पूर्ण होने पर हल्दी की गांठ को घर में उस स्थान पर रखें, जहां धन रखा जाता है।
2. दीपावली के दिन यदि संभव हो सके तो किसी किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें। बरकत बनी रहेगी।
3. दीपावली के दिन घर से निकलते ही यदि कोई सुहागन स्त्री लाल रंग की पारंपरिक ड्रेस में दिख जाए तो समझ लें आप पर महालक्ष्मी की कृपा होने वाली है। यह एक शुभ शकुन है। ऐसा होने पर किसी जरूरतमंद सुहागन स्त्री को सुहाग की सामग्री दान करें।
4. दीपावली की रात में लक्ष्मी और कुबेर देव का पूजन करें और यहां दिए एक मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें।
मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा।
5. दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजाना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता बाहर चली जाती है। मां लक्ष्मी घर में आती हैं।
6. महालक्ष्मी के पूजन में गोमती चक्र भी रखना चाहिए। गोमती चक्र भी घर में धन संबंधी लाभ दिलाता है।
7. दीपावली पर तेल का दीपक जलाएं और दीपक में एक लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें। किसी मंदिर हनुमान मंदिर जाकर ऐसा दीपक भी लगा सकते हैं।
8. रात को सोने से पहले किसी चौराहे पर तेल का दीपक जलाएं और घर लौटकर आ जाएं। ध्यान रखें पीछे पलटकर न देखें।
9. दीपावली के दिन अशोक के पेड़ के पत्तों से वंदनद्वार बनाएं और इसे मुख्य दरवाजे पर लगाएं। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी।
10. किसी शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग पर अक्षत यानी चावल चढ़ाएं। ध्यान रहें सभी चावल पूर्ण होने चाहिए। खंडित चावल शिवलिंग पर चढ़ाना नहीं चाहिए।
11. अपने घर के आसपास किसी पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं। यह उपाय दीपावली की रात में किया जाना चाहिए। ध्यान रखें दीपक लगाकर चुपचाप अपने घर लौट आए, पीछे पलटकर न देखें।
12. यदि संभव हो सके तो दीपावली की देर रात तक घर का मुख्य दरवाजा खुला रखें। ऐसा माना जाता है कि दिवाली की रात में महालक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों के घर जाती हैं।
13. महालक्ष्मी के पूजन में पीली कौड़ियां भी रखनी चाहिए। ये कौडिय़ा पूजन में रखने से महालक्ष्मी बहुत ही जल्द प्रसन्न होती हैं। आपकी धन संबंधी सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी।
14. दीपावली की रात लक्ष्मी पूजा करते समय एक थोड़ा बड़ा घी का दीपक जलाएं, जिसमें नौ बत्तियां लगाई जा सके। सभी 9 बत्तियां जलाएं और लक्ष्मी पूजा करें।
15. दीपावली की रात में लक्ष्मी पूजन के साथ ही अपनी दुकान, कम्प्यूटर आदि ऐसी चीजों की भी पूजा करें, जो आपकी कमाई का साधन हैं।
16. लक्ष्मी पूजन के समय एक नारियल लें और उस पर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि अर्पित करें और उसे भी पूजा में रखें।
17. दीपावली के दिन झाड़ू अवश्य खरीदना चाहिए। पूरे घर की सफाई नई झाड़ू से करें। जब झाड़ू का काम न हो तो उसे छिपाकर रखना चाहिए।
18. इस दिन अमावस्या रहती है और इस तिथि पर पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने पर शनि के दोष और कालसर्प दोष समाप्त हो जाते हैं।
19. प्रथम पूज्य श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करें। दूर्वा की 21 गांठ गणेशजी को चढ़ाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। दीपावली के शुभ दिन यह उपाय करने से गणेशजी के साथ महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
20. दीपावली से प्रतिदिन सुबह घर से निकलने से पहले केसर का तिलक लगाएं। ऐसा हर रोज करें, महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।
21. यदि संभव हो सके तो दीपावली पर किसी गरीब व्यक्ति को काले कंबल का दान करें। ऐसा करने पर शनि और राहु-केतु के दोष शांत होंगे और कार्यों में आ रही रुकावटें दूर हो जाएंगी।
22. महालक्ष्मी के पूजन में दक्षिणावर्ती शंख भी रखना चाहिए। यह शंख महालक्ष्मी को अतिप्रिय है। इसकी पूजा करने पर घर में सुख-शांति का वास होता है।
23. महालक्ष्मी के चित्र का पूजन करें, जिसमें लक्ष्मी अपने स्वामी भगवान विष्णु के पैरों के पास बैठी हैं। ऐसे चित्र का पूजन करने पर देवी बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं।
24. दीपावली के पांचों दिनों में घर में शांति बनाए रखें। किसी भी प्रकार का क्लेश, वाद-विवाद न करें। जिस घर में शांति रहती है वहां देवी लक्ष्मी हमेशा निवास करती हैं।
25. दीपावली पर ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करते समय नहाने के पानी में कच्चा दूध और गंगाजल मिलाएं। स्नान के बाद अच्छे वस्त्र धारण करें और सूर्य को जल अर्पित करें। जल अर्पित करने के साथ ही लाल पुष्प भी सूर्य को चढ़ाएं। किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को अनाज का दान करें। अनाज के साथ ही वस्त्र का दान करना भी श्रेष्ठ रहता है।
26. दीपावाली पर श्रीसूक्त एवं कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। रामरक्षा स्तोत्र या हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ भी किया जा सकता है।
27. महालक्ष्मी को तुलसी के पत्ते भी चढ़ाने चाहिए। लक्ष्मी पूजा में दीपक दाएं, अगरबत्ती बाएं, पुष्य सामने व नैवेद्य थाली में दक्षिण में रखना श्रेष्ठ रहता है।
28. महालक्ष्मी के मंत्र: ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:, इस मंत्र का जप करें। मंत्र जप के लिए कमल के गट्टे की माला का उपयोग करें। दीपावली पर कम से कम 108 बार इस मंत्र का जप करें।
29. दीपावली से यह एक नियम रोज के लिए बना लें कि सुबह जब भी उठे तो उठते ही सबसे पहले अपनी दोनों हथेलियों का दर्शन करना चाहिए।
30. दीपावली पर श्रीयंत्र के सामने अगरबत्ती व दीपक लगाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें। फिर श्रीयंत्र का पूजन करें और कमलगट्टे की माला से महालक्ष्मी के मंत्र: ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: का जप करें।
31. किसी में मंदिर झाड़ू का दान करें। यदि आपके घर के आसपास कहीं महालक्ष्मी का मंदिर हो तो वहां गुलाब की सुगंध वाली अगरबत्ती का दान करें।
32. घर के मुख्य द्वार पर कुमकुम से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। द्वार के दोनों ओर कुमकुम से ही शुभ-लाभ लिखें।
33. लक्ष्मी पूजन में सुपारी रखें। सुपारी पर लाल धागा लपेटकर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि पूजन सामग्री से पूजा करें और पूजन के बाद इस सुपारी को तिजोरी में रखें।
34. दीपावली के दिन श्वेतार्क गणेश की प्रतिमा घर में लाएंगे तो हमेशा बरकत बनी रहेगी। परिवार के सदस्यों को पैसों की कमी नहीं आएगी।
35. यदि संभव हो सके तो इस दिन किसी तालाब या नदी में मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं। शास्त्रों के अनुसार इस पुण्य कर्म से बड़े-बड़े संकट भी दूर हो जाते हैं।
36. घर में स्थित तुलसी के पौधे के पास दीपावली की रात में दीपक जलाएं। तुलसी को वस्त्र अर्पित करें।
37. स्फटिक से बना श्रीयंत्र दीपावली के दिन बाजार से खरीदकर लाएं। श्रीयंत्र को लाल वस्त्र में लपेटकर तिजोरी में रखें। कभी भी पैसों की कमी नहीं होगी।
38. दीपावली पर सुबह-सुबह शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल अर्पित करें। जल में यदि केसर भी डालेंगे तो श्रेष्ठ रहेगा।
39. जो लोग धन का संचय बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें तिजोरी में लाल कपड़ा बिछाना चाहिए। इसके प्रभाव से धन का संचय बढ़ता है। महालक्ष्मी का ऐसा फोटो रखें, जिसमें लक्ष्मी बैठी हुईं दिखाई दे रही हैं।
40. उपाय के अनुसार दीपावली के दिन 3 अभिमंत्रित गोमती चक्र, 3 पीली कौडिय़ां और 3 हल्दी गांठों को एक पीले कपड़ें में बांधें। इसके बाद इस पोटली को तिजोरी में रखें। धन लाभ के योग बनने लगेंगे।
41. यदि धन संबंधियों परेशानियों का सामना कर रहे हैं तो किसी भी श्रेष्ठ मुहूर्त में हनुमानजी का यह उपाय करें।
42. उपाय के अनुसार किसी पीपल के वृक्ष एक पत्ता तोड़ें। उस पत्ते पर कुमकुम या चंदन से श्रीराम का लिखें। इसके बाद पत्ते पर मिठाई रखें और यह हनुमानजी को अर्पित करें। इस उपाय से भी धन लाभ होता है।
43. एक बात का विशेष ध्यान रखें कि माह की हर अमावस्या पर पूरे घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई की जानी चाहिए। साफ-सफाई के बाद घर में धूप-दीप-ध्यान करें। इससे घर का वातावरण पवित्र और बरकत देने वाला बना रहेगा।
44. सप्ताह में एक बार किसी जरूरतमंद सुहागिन स्त्री को सुहाग का सामना दान करें। इस उपाय से देवी लक्ष्मी तुरंत ही प्रसन्न होती हैं और धन संबंधी परेशानियों को दूर करती हैं। ध्यान रखें यह उपाय नियमित रूप से हर सप्ताह करना चाहिए।
45. यदि कोई व्यक्ति दीपावली के दिन किसी पीपल के वृक्ष के नीचे छोटा सा शिवलिंग स्थापित करता है तो उसकी जीवन में कभी भी कोई परेशानियां नहीं आएंगी। यदि कोई भयंकर परेशानियां चल रही होंगी वे भी दूर हो जाएंगी। पीपल के नीचे शिवलिंग स्थापित करके उसकी नियमित पूजा भी करनी चाहिए। इस उपाय से गरीब व्यक्ति भी धीरे-धीरे मालामाल हो जाता है।
46. पीपल के 11 पत्ते तोड़ें और उन पर श्रीराम का नाम लिखें। राम नाम लिखने के लिए चंदन का उपयोग किया जा सकता है। यह काम पीपल के नीचे बैठकर करेंगे तो जल्दी शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। राम नाम लिखने के बाद इन पत्तों की माला बनाएं और हनुमानजी को अर्पित करें।
47. कलयुग में हनुमानजी शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं। इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए कई प्रकार उपाय बताए गए हैं। यदि पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो यह चमत्कारी फल प्रदान करने वाला उपाय है।
48. शनि दोषों से मुक्ति के लिए तो पीपल के वृक्ष के उपाय रामबाण हैं। शनि की साढ़ेसाती और ढय्या के बुरे प्रभावों को नष्ट करने के लिए पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाकर सात परिक्रमा करनी चाहिए। इसके साथ ही शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक भी लगाना चाहिए।
49. दीपावली से एक नियम हर रोज के लिए बना लें। आपके घर में जब भी खाना बने तो उसमें से सबसे पहली रोटी गाय को खिलाएं।
50. शास्त्रों के अनुसार एक पीपल का पौधा लगाने वाले व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार को कोई दुख नहीं सताता है। उस इंसान को कभी भी पैसों की कमी नहीं रहती है। पीपल का पौधा लगाने के बाद उसे नियमित रूप से जल अर्पित करना चाहिए। जैसे-जैसे यह वृक्ष बड़ा होगा आपके घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती जाएगी, धन बढ़ता जाएगा। पीपल के बड़े होने तक इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए तभी आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त होंगे।
51. दीपावली पर लक्ष्मी का पूजन करने के लिए स्थिर लग्न श्रेष्ठ माना जाता है। इस लग्न में पूजा करने पर महालक्ष्मी स्थाई रूप से घर में निवास करती हैं।-पूजा में लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और श्रीयंत्र रखना चाहिए। यदि स्फटिक का श्रीयंत्र हो तो सर्वश्रेष्ठ रहता है। एकाक्षी नारियल, दक्षिणावर्त शंख, हत्थाजोड़ी की भी पूजा करनी चाहिएll