कार्तिक मास 6 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। कार्तिक मास के समान कोई मास नहीं है, सतयुग के समान कोई युग नहीं है। वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है। स्कन्द पुराण में भी कार्तिक मास को सबसे उत्तम मास माना गया है। इसी तरह सभी देवताओं में श्रीहरि, सभी तीर्थों में बद्रीनारायण को सबसे श्रेष्ठ माना है।
क्या करें:-
कार्तिक मास में जो लोग संकल्प लेकर प्रतिदिन प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर किसी तीर्थ स्थान, किसी नदी अथवा पोखर पर जाकर स्नान करते हैं या घर में ही गंगाजल युक्त जल से स्नान करते हुए भगवान का ध्यान करते हैं, उन पर प्रभु प्रसन्न होते हैं। स्नान के पश्चात पहले भगवान विष्णु एवं शिव और बाद में सूर्य भगवान को अर्ध्य प्रदान करते हुए विधिपूर्वक अन्य दिव्यात्माओं को अर्ध्य देते हुए पितरों का तर्पण करना चाहिए।
पितृ तर्पण के समय हाथ में तिल अवश्य लेने चाहिये क्योंकि मान्यता है कि जितने तिलों को हाथ में लेकर कोई अपने पितरों का स्मरण करते हुए तर्पण करता है उतने ही वर्षों तक उनके पितर स्वर्गलोक में वास करते हैं। इस मास अधिक से अधिक प्रभु नाम का चिंतन करना चाहिए।
स्नान के पश्चात नए एवं पवित्र वस्त्र धारण करें तथा भगवान विष्णु जी का धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प एवं मौसम के फलों के साथ विधिवत सच्चे मन से पूजन करें, भगवान को मस्तक झुकाकर बारम्बार प्रणाम करते हुए किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।
कार्तिक मास की कथा स्वयं सुनें तथा दूसरों को भी सुनाएं। कुछ लोग कार्तिक मास में व्रत करने का भी संकल्प करते हैं तथा केवल फलाहार करते हैं जबकि कुछ लोग पूरा मास एक समय भोजन करके कार्तिक मास के नियम का पालन करते हैं। इस मास में श्रीमद्भागवत कथा, श्री रामायण, श्रीमद्भगवदगीता, श्री विष्णुसहस्रनाम आदि स्रोत्रों का पाठ करना उत्तम है।
दीपदान की महिमा:-
वैसे तो भगवान के मंदिर में दीप दान करने वालों के घर सदा खुशहाल रहते हैं परंतु कार्तिक मास में दीपदान की असीम महिमा है। इस मास में वैसे तो किसी भी देव मंदिर में जाकर रात्रि जागरण किया जा सकता है परंतु यदि किसी कारण वश मंदिर में जाना सम्भव न हो तो किसी पीपल व वट वृक्ष के नीचे बैठकर अथवा तुलसी के पास दीपक जलाकर प्रभु नाम की महिमा का गुणगान किया जा सकता है। इस मास में भूमि पर शयन करना भी उत्तम है ।
पितरों के लिए आकाश में दीपदान करने की अत्यधिक महिमा है, जो लोग भगवान विष्णु के लिए आकाश में दीप का दान करते हैं उन्हें कभी क्रूर मुख वाले यमराज का दर्शन नहीं करना पड़ता और जो लोग अपने पितरों के निमित्त आकाश में दीपदान करते हैं उनके नरक में पड़े पितर भी उत्तम गति को प्राप्त करते हैं। जो लोग नदी किनारे, देवालय, सड़क के चौराहे पर दीपदान करते हैं उन्हें सर्वतोमुखी लक्ष्मी प्राप्त होती है।
दान की महिमा:-
कार्तिक मास में दान अति श्रेष्ठ कर्म है। स्कंदपुराण के अनुसार दानों में श्रेष्ठ कन्यादान है। कन्यादान से बड़ा विद्या दान, विद्यादान से बड़ा गौदान, गौदान से बड़ा अन्न दान माना गया है। अपनी सामर्थ्यानुसार धन, वस्त्र, कंबल, रजाई, जूता, गद्दा, छाता व किसी भी वस्तु का दान करना चाहिए तथा कार्तिक में केला और आंवले के फल का दान करना भी श्रेयस्कर है।
कलियुग में कार्तिक मास को मोक्ष के साधन के रूप में दर्शाया गया है। पुराणों के मतानुसार इस मास को चारों पुरुषार्थों- धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष देने वाला माना गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु ने कार्तिक मास के सर्वगुणसंपन्न माहात्मय के संदर्भ में बताया गया है।
कार्तिक मास में कुछ कार्य प्रधान माने गए हैं जो इस प्रकार हैं-
1- धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में सबसे प्रधान कार्य दीपदान करना बताया गया है। इस मास में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है। इससे अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है।
2- इस मास में तुलसी पूजन करने तथा सेवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। वैसे तो हर मास में तुलसी का सेवन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है लेकिन कार्तिक में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।
3- भूमि पर शयन करना कार्तिक मास का तीसरा प्रधान कार्य माना गया है। भूमि पर शयन करने से मन में सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं।
4- कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है।
5- कार्तिक मास में द्विदलन अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई , बैंगन आदि का सेवन निषेध है।
1- धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में सबसे प्रधान कार्य दीपदान करना बताया गया है। इस मास में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है। इससे अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है।
2- इस मास में तुलसी पूजन करने तथा सेवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। वैसे तो हर मास में तुलसी का सेवन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है लेकिन कार्तिक में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।
3- भूमि पर शयन करना कार्तिक मास का तीसरा प्रधान कार्य माना गया है। भूमि पर शयन करने से मन में सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं।
4- कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है।
5- कार्तिक मास में द्विदलन अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई , बैंगन आदि का सेवन निषेध है।
नियम:-
1- कार्तिक व्रती(कार्तिक मास में व्रत रखने वाला) को तामसिक एवं उत्तेजक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
2- किसी दूसरे के अन्न का भक्षण, किसी से द्रोह तथा परदेशगमन भी निषेध है।
3- दिन के चौथे पहर में एक समय पत्तल पर भोजन करना चाहिए।
4- कार्तिकव्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना तथा भूमि पर शयन करना आवश्यक होता है।
5- पूरे मास में केवल एक बार नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) को ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए। शेष दिनों में तेल लगाना वर्जित है।
6- व्रती को लौकी, गाजर, कैथ, बैंगन आदि तथा बासी अन्न, पराया अन्न व दूषित अन्न नहीं खाना चाहिए।
7- व्रती को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करे। अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करे, मन पर संयम रखें आदि !
2- किसी दूसरे के अन्न का भक्षण, किसी से द्रोह तथा परदेशगमन भी निषेध है।
3- दिन के चौथे पहर में एक समय पत्तल पर भोजन करना चाहिए।
4- कार्तिकव्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना तथा भूमि पर शयन करना आवश्यक होता है।
5- पूरे मास में केवल एक बार नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) को ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए। शेष दिनों में तेल लगाना वर्जित है।
6- व्रती को लौकी, गाजर, कैथ, बैंगन आदि तथा बासी अन्न, पराया अन्न व दूषित अन्न नहीं खाना चाहिए।
7- व्रती को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करे। अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करे, मन पर संयम रखें आदि !
You can share your thoughts with my own thoughts I will be glad to learn something from you
you can contact me
57 replies on “जानिए कार्तिक मास में क्या करें और क्या न करें”
What’s up, yeah this paragraph is actually fastidious and I have learned lot of things
from it about blogging. thanks.
Also visit my web-site :: healthy eating
Pretty! This has been a really wonderful post. Many thanks for
supplying these details.
Feel free to visit my page: eating pyramid
Right now it looks like Drupal is the top blogging platform
available right now. (from what I’ve read) Is that what
you’re using on your blog?
Also visit my web page; cannabis seeds exist
Good response in return of this question with genuine arguments and describing everything about that.
Wow, superb blog layout! How long have you been blogging for?
you made blogging look easy. The overall look of your website is fantastic,
let alone the content!