इन्द्रिय कितनी होती है ?
इंद्रिय के द्वारा हमें संसारी विषयों जैसे कि रूप, रस, गंध, स्पर्श एवं शब्द का तथा आभ्यंतर विषयों जैसे सु:ख- दु:ख आदि का ज्ञान प्राप्त होता है। इद्रियों के अभाव में हम विषयों का ज्ञान किसी प्रकार प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए तर्कभाषा के अनुसार इंद्रिय वह प्रमेय है जो शरीर से संयुक्त, अतींद्रिय (इंद्रियों से ग्रहीत न होनेवाला) तथा ज्ञान का करण हो (शरीरसंयुक्तं ज्ञानं करणमतींद्रियम्)।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!इंद्रिय को संस्कृत भाषा में ‘करण’ भी कहते हैं। इंद्रिय शरीर का वह अवयव है, जिसके द्वारा हम कोई काम करते हैं या कोई ज्ञान प्राप्त करते हैं। मुंह, हाथ, लिंग, गुदा और पैर– ये पांच कर्मेंद्रियों हैं। इनके द्वारा हम स्थूल कर्म किया करते हैं। ये भी बाहरी इंद्रियां कहलाती हैं। इन कर्मेंद्रियों में से प्रत्येक के द्वारा लगभग भिन्न-भिन्न ही काम लिया जाता है। मुंह से भोजन करने और बोलने का काम करते हैं। मुंह के अंतर्गत दांत, होठ, तालु, मूर्धा, कंठ, आदि आ जाते हैं। जिह्वा रस (स्वाद) इंद्रिय का गोलक है । बोलने और भोजन करने में सहायक होने के कारण यह जिह्वा भी मुंह कर्मेंन्द्रिय के अंदर आ जाती है। हाथ से प्रायः किसी पदार्थ को पकड़ने तथा छोड़ने का काम करते हैं। सांसारिक कामों में इसकी बड़ी उपयोगिता सिद्ध होती है। लिंग से मूत्र-वीर्य आदि का त्याग होता है। गुदा से अपान वायु और मल का विसर्जन होता है। पैर से मुख्यतया चलने का काम होता है। कर्मेंद्रियों के कर्म वायु के द्वारा होते हैं; क्योंकि चलना, बोलना, बल करना पसरना और सिकुड़ना वायु की प्रकृतिया बतलाए गए हैं।
इंद्रियां 14 है। पांच ज्ञानेंद्रियां- आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा; पांच कर्मेंद्रियां- हाथ, पैर, मुंह, गुदा और लिंग और चार अंतःकरण- मन बुद्धि चित्त और अहंकार।
न्याय के अनुसार इंद्रियाँ दो प्रकार की होती हैं :
(1) बहिरिंद्रिय – घ्राण, रसना, चक्षु, त्वक् तथा श्रोत्र (पाँच) और
(2) अंतरिंद्रिय – केवल मन (एक)।
इनमें बाह्य इंद्रियाँ क्रमश: गंध, रस, रूप स्पर्श तथा शब्द की उपलब्धि मन के द्वारा होती हैं। सुख दु:ख आदि भीतरी विषय हैं। इनकी उपलब्धि मन के द्वारा होती है। मन हृदय के भीतर रहनेवाला तथा अणु परमाणु से युक्त माना जाता है। इंद्रियों की सत्ता का बोध प्रमाण, अनुमान से होता है, प्रत्यक्ष से नहीं सांख्य के अनुसार इंद्रियाँ संख्या में एकादश मानी जाती हैं जिनमें ज्ञानेंद्रियाँ तथा कर्मेंद्रियाँ पाँच पाँच मानी जाती हैं। ज्ञानेंद्रियाँ पूर्वोक्त पाँच हैं, कर्मेंद्रियाँ मुख, हाथ, पैर, मलद्वार तथा जननेंद्रिय हैं जो क्रमश: बोलने, ग्रहण करने, चलने, मल त्यागने तथा संतानोत्पादन का कार्य करती है। संकल्पविकल्पात्मक मन ग्यारहवीं इंद्रिय माना जाता है।
you can contact me
87 replies on “इन्द्रिय कितनी होती है ?”
Excellent post but I was wondering if you could write a litte more
on this subject? I’d be very thankful if you could elaborate a little bit
further. Thanks!
Feel free to surf to my webpage … Keto Vibe Pills Review
Pretty section of content. I just stumbled upon your site and
in accession capital to assert that I get actually
enjoyed account your blog posts. Any way I will be subscribing to your
augment and even I achievement you access consistently rapidly.
I became honored to receive a call coming from a friend when he uncovered the
important points shared on your own site. Studying your blog publication is a real fantastic experience.
Many thanks for taking into account readers
just like me, and I hope for you the best of achievements like a professional
in this field.
Here is my web blog – http://www.atomy123.com
I was just looking for this information for some time.
After 6 hours of continuous Googleing, at last I got it in your web site.
I wonder what is the lack of Google strategy that do not rank this type of informative
sites in top of the list. Generally the top sites are full of garbage.
Feel free to surf to my blog :: Monster FX7
Hi there very nice site!! Guy .. Beautiful .. Amazing ..
I’ll bookmark your blog and take the feeds also?
I’m glad to seek out numerous helpful info right here in the publish,
we’d like develop extra strategies on this regard, thank
you for sharing. . . . . .