मेरा जीवन जीने का उद्देश्य, मात्र प्राणी सेवा है। सच्ची सेवा अगर देखनी हो, तो उन पेड़-पौधों से देखो जो भले और बुरे दोनों को समान भाव से फल व छाया प्रदान करते हैं। संसार में अगर आप किसी को बड़ा समझते हो तो, निश्चित ही वह सेवक है। प्राणियों की सेवा से आत्मा को शक्ति मिलती है। और आत्मशक्ति ही मनुष्य को बड़ा बनाती है। सेवाभावी मनुष्य हजारों में अलग ही नजर आता है। ऐसे लोगों में आत्म बल भरपूर होता है। चींटी से लेकर हाथी तक सभी ईश्वर का स्वरूप है। जो लोग इन्हें परेशान और दुखी करते हैं, वह ईश्वर को दुखी करते हैं, और जो सभी प्राणियों में सेवा का भाव रखते हैं, वे परमात्मा की सेवा करते हैं ।
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